आओ करें
खुद से खुद की खोज
और चलें बदलते अपनी सोच !
नित कहाँ भटक रहे हो प्यारे……,
आओ, उतर अंतर्मन में झाँकें रोज !!1!!
आओ करें
स्वयं से स्वयं की मुलाक़ात
और पहले मनःस्थिति को जानें !
इस भागती दौड़ती ज़िन्दगी में कहाँ…..,
हम जा रहे भागे, ज़रा इसपे विचार करें !!2!!
आओ करें
स्वयं में आनंद की खोज़
और चलें करते खुशियों की तलाश !
अब, जा रहा जीवन तेजी से घटता…….,
हँसी-खुशी के पल, पालें अपने ही पास !!3!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान