(1) ” स “, सत्य की राह
पे चलता चल
मिल जाएंगे तुझको सद्गुरु !
कभी खोना नहीं आपा…….,
बस, करता चल काम शुरू !!
(2) ” द् “, द्वारे आएंगे सद्गुरु
कभी करना नहीं
बंद मन के कपाट !
धैर्य संतोष बनाए रखना….,
करते हैं वे तुझे सदा याद !!
(3) ” गु “, गुरु ही ब्रह्मा
गुरु ही विष्णु
हैं गुरु साक्षात् श्रीईश्वर !
गुरु ही शंकर परब्रह्म…….,
हैं सद्गुरु ही हमारे परमेश्वर !!
(4) ” रु “, रूह गुरु की
है हमसे जुड़ी
और हममें बसे श्रीगुरुवर !
चलें करते नित्य नमन……,
पाएं दर्शन मन मंदिर उतर !!
(5) ” सद्गुरु “, सद्गुरु प्रिय हैं
हमारे सभी के
गुरुश्री नानक देव जी !
चलें करते वंदन प्रणाम…..,
रखेंगे ध्यान वाहेगुरु जी !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान