मनोरंजन

घर की दीवारें सब सुनती हैं – सुनील गुप्ता

घर की दीवारें सब सुनती हैं

बस ध्यान रखें, जब भी बोलें   !

कब क्या कहना, इस पे विचारें…..,

और बहुत सोच समझके ही बोलें  !!1!!

 

वक़्त बदला, बदलें हैं लोग

अब नहीं रही वो स्थिति पुरानी  !

लोग घर बैठे ही सब सुन लेते हैं……,

रखनी होगी हमें सावधानी चौगुनी !!2!!

 

अब सब पर्दे बेपर्दा हो चुके

कहां बैठ पाते बे-तकल्लुफ़ी से अभी  !

हम थक चुके अपनों से ही…..,

कहां कर पाते बातें बेफ़िक्री से सभी !!3!!

 

उठ चुका विश्वास अपनों से ही

अब रहे नहीं उन्मुक्त घर पर भी  !

सभी कान पे कान धरे हैं सुनते….,

फिर करते हैं बुराई मिलकर सभी !!4!!

 

पारदर्शिता कहां बची रही रिश्तों में

और बढ़ रहा है आपस में अविश्वास  !

अब घर की दीवारें भी हैं महफूज़ कहां…..,

खो रहे हैं हम आपस में ही धैर्य विश्वास !!5!!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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