सदा तुम्हारी कमी रहेगी,
यहाँ जरूरत बनी रहेगी।
तलाशते है मिलो दुबारा,
अगर मिलेतो खुशी रहेगी।
भटक गयें हैं कहाँ सवेरा,
नजर हमारी जमी रहेगी।
हमें रुलाके चले गये क्यों,
तलाश हरदम लगी रहेगी।
भुला न पायें जिगर जले है,
तड़प रहा ‘अनि’ गमी रहेगी।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड