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कविता – मधु शुक्ला

प्रदान करें सुख जीवन को,

उदास करें न किसी मन को।

 

सदैव करें सहयोग दुखी,

न रुष्ट करें हम निर्धन को।

 

हमें यदि चाह सुखी घर की,

प्रसन्न रखें हम आनन को।

 

रखें हम चाह यही मन में,

प्रदूषण प्राप्त न हो घन को।

 

हमें जब शांति रहे प्रिय तब,

सुकून मिले हर आँगन को।

– मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

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