प्रदान करें सुख जीवन को,
उदास करें न किसी मन को।
सदैव करें सहयोग दुखी,
न रुष्ट करें हम निर्धन को।
हमें यदि चाह सुखी घर की,
प्रसन्न रखें हम आनन को।
रखें हम चाह यही मन में,
प्रदूषण प्राप्त न हो घन को।
हमें जब शांति रहे प्रिय तब,
सुकून मिले हर आँगन को।
– मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश