मनोरंजन

माँ – मधु शुक्ला

माता जितना नहीं जगत में, कोई लगता प्यारा।

इर्द गिर्द माँ  के  ही  घूमे, हरदम  ध्यान  हमारा।

 

मुस्काये माँ हम मुस्कायें, चुप हो तो डर जायें।

खेल कूद और शोर शराबा, करने से कतरायें।

मौन देख माँ हमें हँसाये, माँ का प्यार दुलारा ……. ।

 

मनचाहे पकवान पकाये, सम्मुख बैठ खिलाये।

अनुशासन की छड़ी पकड़ती, माँ जब हमें पढ़ाये।

सब से उत्तम गुरु माता को, हम सबने स्वीकारा….. ।

 

दूर  रहे  या  पास  रहे  माँ ,  हमें  प्रेरणा  देती।

संस्कारों की छाया देकर, दुख संकट हर लेती।

जीवन बच्चों का हर संभव, माँ ने सदा निखारा…….. ।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

दोहे – नीलू मेहरा

newsadmin

चौपाई छंद – मधु शुकला

newsadmin

कविता – मधु शुक्ला

newsadmin

Leave a Comment