मनोरंजन

मनहरण घनाक्षरी – मधु शुक्ला

साथ-साथ रह कर

कष्ट सम सह कर

तम नाश कर रहे,

दिया बाती मानिए।

 

जन हित हृद भाव

मर मिटने का चाव

दीप जैसा कहीं नहीं,

सत्य यह जानिए।

 

वही वंश दीप बने

बात पितु मातु गुने

मिल जाये सुत ऐसा

आरती उतारिए।

 

नित्य आप एक दीप

रखें देव के समीप

और पास तुलसी के

दीपक जलाइए।

— मधु शुक्ला .

सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

अहसास – ज्योति अरुण

newsadmin

है श्रवण व्याकुल व्यथित प्रिय – अनुराधा पांडेय

newsadmin

अपने जीवन के हैं हम कुम्हार – सुनील गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment