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शार्दूलविक्रीडित वृत्त – डा.दिव्य-प्रियंवदा काफ्ले आचार्य

आफै शान्त बनेर बस्न नसके

आशाको पनि म्याद हुन्छ मनमा मर्दै गयो सुस्तरी

तिम्रो आगमनै भएन कहिल्यै लामो प्रतीक्षा सरि ।

भित्री धैर्य मर्यो मर्यो प्रणय नै एकान्तमा तर्सिएँ

तिम्रा प्रेमिल सम्झना लिपि बनी छुट्टै कथा जन्मिए ।।

पोल्यो जून उठेर सित्तल छली आदित्यको राप झैँ

हावाले पनि डस्छ निष्ठुर भई कुन् शत्रुता सम्झदै।

यो हेमन्त चिसो कहाँ छ अहिले दावाग्निको गर्मि छ

छोटा हुन् तर लाक्छ यी दिनहरू लामा असाध्यै किन।।

पाखा खेत सुखा भए दिनदिनै मेरै सहेली हुन

पीडामा म हुँदा बसेर नजिकै आएन कोही रुन।

यो संसार छ मत्लवी अलि दया राख्दैन अर्का प्रति

आफ्नै स्वार्थ फलाउने छ सपना उल्टो गरेरै पनि।।

आएमा ज्वर जीर्ण हुन्छ सजिलै आराम गर्दा तर

यो चिन्ता ज्वर नाशिदैन सजिलै बढ्नेछ झन्झन् अझ।

केही औषधिले भएन सजिलो भोकै बसी हुन्छ या

केही हुन्न उपाय ताप कसरी जालान् मनोरोगका।।

भन्छन् भन्न त के छ हुन्छ सजिलै बाटाहरू छन् भनी

व्याख्याता पनि देखिए उपनिषद् दर्शन्हरूका पनि।

कोही भक्ति गरेर ईश्वर मिले आनन्द हो भन्दछन्

भन्दा हुन्छ अनेक औषधिमुलो आत्मा चिनेका कथा।।

आफैंमा जब घट्छ अस्थिर भई यो मन् जलेको क्षण

हुन्छन् फेल सबै उपाय जगमा क्षण्क्षण् मरेको क्षण।।

आफैमा स्थिर बन्नुपर्छ नभए होला व्यथा रोदन

आफै शान्त बनेर बस्न नसके होला कहाँ मोदन।।

शार्दूलविक्रीडित वृत्त हिंदी –

अपने आप को शांत नहीं रह सका।

दिल में एक्सपायरी डेट है धीरे धीरे मरते जा रहे है

आपका आना कभी लम्बा इंतज़ार नहीं होता।

भीतर का धैर्य मर गया, प्रेम मर गया, मैं एकांत में डर गया।

एक अलग कहानी पैदा हुई थी तेरी प्यारी याद की पटकथा से।

चाँद जल गया और जाग गया जैसे आदित्य के रैप

हवा भी चल जाती है ज़ालिम होकर. याद कर कौन सी दुश्मनी है

यह पतझड़ कहाँ है दवग्नि में गर्मी है

छोटे हैं मगर सोचते हैं ये दिन इतने लम्बे क्यों हैं..

पाखा के खेत सूख जाए तो रोज मेरे यार हो जाए

जब दर्द में था तो रोने के लिए कोई पास नहीं आया

ये दुनिया है मतलब की किसी के प्रति कोई दया नहीं है

मैं अपने सपनों को उल्टा करके ही सही अपना मतलब बढ़ाऊंगा।

तुम आ जाओ तो बुखार कम हो जाएगा आराम से आराम करते हुए।

ये चिंता और बुखार खत्म नहीं होगा, आसानी से और अधिक बढ़ेगा।

कुछ दवाईयां भूखा रहना आसान नहीं होती या

मानसिक बीमारी से छुटकारा कैसे पाएं इसका कोई इलाज नहीं है।

कहते हैं कहने को क्या है, रास्ते आसानी से हैं।

उपनिषद दर्शन के व्याख्याता भी नजर आए।

कुछ लोग कहते हैं भक्ति करके भगवान से मिलने में आनंद मिलता है।

कई औषधीय आत्माओं को पता है कि कहानियां सुनाई जाती हैं।

जब खुद में ही घट जाती है. दिल के जलने का ये पल अस्थिर हो जाता है।

मृत्यु की नींव के क्षण में सभी समाधान विफल हो जाते हैं।

अपने आप में स्थिर रहना होगा, वरना आप दर्द को रो सकते हैं।

खुद को चैन से ना रह पाये मोदन कहा है

– डा.दिव्य-प्रियंवदा काफ्ले आचार्य, काठमांडू, नेपाल

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