देहरादून। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब से राज्य की बागडोर संभाली तो तमाम उपलब्धियां उनके कौशल को तस्दीक करने के लिए पर्याप्त है तो भविष्य के लिए भी असीमित उम्मीदें भी उनसे है।
राज्य में विकास और आम जन तक सरकार की पहुंच का आकलन किया जाए तो 2023 में धामी सरकार का सफर उल्लेखनीय उपलब्धियों के तौर पर याद किया गाएगा। बतौर मुख्यमंत्री, पुष्कर सिंह धामी के इस वर्ष किये गये कार्यों का नतीजा है कि 2023 समाप्त होते होते, विजन 2025 लक्ष्य हासिल होता नजर आने लगा है । राज्य हित में तमाम उपलब्धियां आयी और उन सभी योजनाओं को धरातल पर उतारा गया जो कि आम जन के लिहाज से अधिक जरूरी थी। मिलनसार,सर्व सुलभ और आम जन की पीडा को समझने व सूझबूझ के साथ उनके निकाराकरण में सीएम धामी खुद को साबित करने मे सफल रहे। उन्होंने हर आपदा में अग्रिम पंक्ति में रहकर नायक की भूमिका में कार्य किया तो युवा और महिलाओं के बीच में रहकर अपना हर फर्ज भी निभाया । इस दौरान धामी ने केन्द्र और राज्य के बीच बेहतर तालमेल स्थापित किया जिससे केन्द्रीय योजनाओं से मिल रही मदद ने राज्य के विकास को पंख लगा दिए हैं।
लैंड जिहाद पर धामी का धाकड़ प्रहार
राज्य के अंदर आज 6 हजार एकड़ से भी ज्यादा जमीन जो ‘लैंड जिहाद’ के तौर पर अतिक्रमण की गई थी उसे अतिक्रमण से मुक्त कराने का ऐतिहासिक काम धामी सरकार ने किया है। प्रदेश के अंदर जो ‘लैंड जिहाद’ चलता था उस लैंड जिहाद से मुक्ति का काम हमने प्रारंभ किया है। सीएम धामी स्पष्ट है कि इस सबके साथ-साथ देव भूमि का जो मूल स्वरूप है। जिसके लिए देव भूमि जानी जाती है। देवभूमि का वो मूल स्वरूप बना रहे उसके लिए हम यथा संभव हर कोशिश, हर प्रयत्न कर रहे हैं। उत्तराखंड में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की बार-बार शिकायतों के बाद सीएम धामी ने राज्य पुलिस और वन विभाग को सभी अवैध संरचनाओं की पहचान करने का निर्देश दिया था।
इस दौरान सीएम धामी ने कहा कि धर्म की राह पर चलने से जीवन में कोई दुविधा नहीं रहती है। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यसेवक के तौर पर धर्म के मार्ग पर चलते हुए वो जो भी फैसले लेते हैं वो खुद ही समाज हित में सही हो जाते हैं। आँकड़ों के मुताबिक, मई 2023 तक राज्य के अधिकारियों ने लैंड जिहाद के जरिए अतिक्रमण की गई कुल 3,793 ऐसी जगहों की पहचान की थी। इस तरह के अतिक्रमण के सबसे अधिक मामले नैनीताल जिले में पाए गए। इस जिले में 1,433 से अधिक जगहों पर अतिक्रमण पाया गया था।
वहीं उसके बाद 1,149 अतिक्रमण हरिद्वार जिले में पाए गए। चमोली में 423 अवैध ढाँचे पाए गए थे। वहीं राज्य के अन्य जिलों में जिनमे टेहरी (209), अल्मोड़ा (192) और चंपावत (97) शामिल हैं। अधिकांश अतिक्रमण वन भूमि पर थे। इस साल की शुरुआत में अतिक्रमण विरोधी अभियान शुरू होने के बाद से, राज्य में करीब 500 ‘मजारों’ और लगभग 50 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया है।
लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण पर कानून बनाकर साजिशों को किया नाकाम
उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण कराने वालों को और सख्त सजा दी जाएगी. इसके लिए 2018 के कानून को और सख्त कर दिया गया है। नए कानून के तहत, जबरन धर्मांतरण कराने वाले दोषी को 10 साल की जेल और 50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा होगी। साथ ही पीड़ित को भी मुआवजा देना होगा। राज्य में भी लव जिहाद के मामले आने सुरू हो गये हैं और इसे लेकर सरकार सचेत है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर एतिहासिक कदम
यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक आचार संहिता) विशेषज्ञ समिति को अंतिम रूप देकर जल्द ही सरकार को सौंपने का ऐलान किया है। ड्राफ्ट समिति की सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड ) रंजना प्रकाश देसाई ने दिल्ली में इस संबंध में घोषणा की। यूनिफॉर्म सिविल कोड देशवासियों के लिए कई मायनों में अहम साबित हो सकता है। विशेषज्ञ समिति के सदस्य लंबे समय से इस ड्राफ्ट पर काम कर रहे थे और पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में ड्राफ्ट रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में जुटे हुए थे। समिति के अनुसार जल्द ही यह ड्राफ्ट सरकार को सौंप दिया जाएगा। आइए जानते हैं यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है और इसके क्या फायदे हो सकते हैं?
उत्तराखंड में कॉमन सिविल कोड लागू करने के लिए समिति की कुछ अहम सिफारिशें हैं। माना जा रहा है कि यूसीसी में महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने पर फैसला हो सकता है। इसके तहत हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समेत किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली महिला को परिवार और माता पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। इसके अतिरिक्त जो महत्वपूर्ण सकारात्मक परिवर्तन इससे होने हैं वे कुछ इस प्रकार से हैं ।
जैसे शादी की उम्र सबके लिए 21 साल, बहु विवाह पर लगाम
इसके अलावा बेटियों की शादी की उम्र भी 21 साल करने का फैसला यूसीसी में हो सकता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत कोई भी मुसलमान को कुछ शब्दों के साथ शादी कर सकता है लेकिन उत्तराखंड यूसीसी के तहत किसी भी पुरुष और महिला को बहु विवाह करने की अनुमति नहीं होगी।
बुजुर्गों को भी मिलेगी तमाम सहूलियत
यूसीसी के तहत लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान पर भी विचार किया गया है। इसके साथही एक प्रस्ताव यह भी है कि परिवार की बहू और दामाद को भी अपने ऊपर निर्भर बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मेदार माना जाएगा। राज्य के लिए यह प्रस्ताव भी शामिल किया जा सकता है कि किसी भी धर्म की महिला को संपत्ति में समान अधिकार मिलना चाहिए।
यूसीसी में बराबर के हक की वकालत
नियम के अनुसार मुस्लिम महिलाओं को अधिक अधिकार मिल सकेंगे। पैतृक संपत्ति के बंटवारे की स्थिति में पुरुष को महिला के मुकाबले दोगुनी संपत्ति मिलती है, लेकिन यूसीसी में बराबर के हक की वकालत की जा रही है। इस तरह के किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं संपत्ति में बराबर की हकदार होंगी।
सभी धर्मों में गोद ली जाने वाली संतानों को कैसे होगा फायदा?
इसके साथ ही पैनल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि लड़कियों की शादी के लिए लड़कों की तरह ही कर दी जाए। इसके साथ गोद ली जाने वाली संतानों के अधिकारों को लेकर भी बड़ा फैसला हो सकता है। हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत दत्तक पुत्र या पुत्री को भी जैविक संतान के बराबर करेगी हक मिलता है, लेकिन मुस्लिम, पारसी और यहूदी समुदायों के पर्सनल लॉ में बराबर हक की बात नहीं है। ऐसे में यूसीसी लागू होने से गोद ली जाने वाली संतानों को भी बराबर का हक मिलेगा।
दो से ज्यादा बच्चे होने पर क्या होगा?
इसमें अहम बदलाव लाया जा रहा है। बेटियों को संपत्ति पर बराबर अधिकार और शादी की उम्र का कुछ मुस्लिम संगठनों की ओर से विरोध हो सकता है। यूसीसी में एक्सपर्ट कमेटी ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को भी सम्मिलित किया है। यदि राज्य में किसी के भी दो से ज्यादा बच्चे होते हैं तो उसे चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं के लाभ से वंचित रखा जाएगा।
मुस्लिम समाज के लिए क्या होंगे बदलाव
मुस्लिम समाज में हलाला और इद्दत की रस्म है, जिसे यूसीसी लागू होने के बाद खत्म कर दिया जाएगा। यहीं नहीं, तलाक लेने के लिए पति और पत्नी के आधार अलग-अलग हैं, लेकिन यूसीसी के बाद तलाक के समान आधार लागू हो सकते हैं। इसके साथ ही यूसीसी में अनाथ बच्चों की गार्जियन शिप की प्रक्रिया को आसान और मजबूत बनाने का प्रस्ताव भी दिया गया है।
ऑनलाइन और ऑफलाइन लिए गए सुझावों का ड्राफ्ट बनाने में हुआ उपयोग
मई 2022 को उत्तराखंड समान नागरिकता संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने अपने गठन के बाद से लेकर मसौदा तैयार करने तक ढाई लाख से अधिक सुझाव ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त किए। समिति इस संबंध में 13 जिलों में हित धारकों के साथ सीधे संवाद कर चुकी है, जबकि नई दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों से भी चर्चा की गई।
युवाओं के भविष्य पर डाका डालने वालों पर चला नकल कानून का हंटर , पारदर्शी भर्तियों से युवाओं में जागा विश्वास
उत्तराखंड में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू हो गया है. राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा ( भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 पर मुहर लगा दी है. राजभवन ने 24 घंटे के भीतर यह कदम उठाया है अब भर्ती परीक्षा में पेपर लीक, नकल कराने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने पर उम्रकैद की सजा मिलेगी. साथ में 10 करोड़ तक का जुर्माना भी देना पड़ेगा और गैर जमानती अपराध में दोषियों की संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। अध्यादेश में संगठित होकर नकल कराने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने वाले मामलों में आजीवन कैद की सजा और 10 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान है. इसके साथ ही आरोपियों की संपत्ति भी जब्त करने की व्यवस्था इस में की गई है।
यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है, तो आजीवन कारावास तक की सजा और 10 करोड़ रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया । यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में खुद नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए पाया जाता है तो उसके लिए तीन साल का जेल और न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया.
यदि वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में दोषी पाया जाता है, तो न्यूनतम दस साल के कारावास और न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया।यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तारीख से दो से पांच साल के लिए डिबार करने का प्रावधान किया गया। दोषसिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस साल के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है।
केन्द्रीय योजनाओं की खूब बरसी सौगातें
उत्तराखंड के लिए डबल इंजन की सरकार सौभाग्य वाली बात रही। राज्य में लगभग डेढ लाख करोड से अधिक की योजनाऐं चल रही है। इस दौरान पर्यटन, हवाई कनेक्टिविटी,सडक का एक बडा ढांचा स्थापित हो गया। आज इन संसाधनों के बूते राज्य में रोजगार की संभावना अधिक प्रबल हुई है। मोदी के उत्तराखंड के प्रति लगाव,मार्गदर्शन और सीएम पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में राज्य आज हर क्षेत्र में लगातर आगे बढ रहा है। युवाओ के लिए रोजगार हो या मातृ शक्ति के लिए चल रही योजनाओं से यह स्पष्ट है कि धामी सरकार राज्य के हर वर्ग के लिए सचेत है। धामी के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि अब तक हुए विधान सभा उप चुनाव अथवा अन्य चुनावों में भाजपा को आशीर्वाद मिला।
इन्वेस्टर्स समिट की स्वर्णिम सफलता से विकसित राज्य बनने की राह
पीएम मोदी के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री धामी ने विजन 2025 के तहत उत्तराखंड को विकसित राज्य बनने का लक्ष्य निर्धारित किया है । जिसको यथार्थ में परिवर्तित करने के लिए सर्वप्रथम पर्याप्त मात्रा में पूंजीगत एवं औधोगिक निवेश की आवश्यकता थी । लिहाजा ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से अधिक से अधिक निवेश जुटाने के अभियान को मुख्यमंत्री ने स्वयं आगे रहकर लीड किया । परिणामस्वरूप 2.5 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य से कई आगे 3.53 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हुए, जिसमे 1 लाख करोड़ के प्रस्तावों पर जमीन पर काम शुरू हुआ । अधिकारियों की टीम को अधिक से अधिक प्रस्तावों को धरातल पर उतारने का दिया लक्ष्य ।
सिलक्यारा टनल हादसे में कुशल आपदा प्रबंधन की पुष्टि
साल समाप्त होते होते उत्तरकाशी के सिलक्यारा में बंद हुई सुरंग ने 41 श्रमिकों के जीवन और विकास की तरफ बढ़ते कदमों के सामने बड़ी चुनौती रख दी थी । लेकिन पीएम मोदी के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री धामी ने जिस कुशलता और सजगता से बचाव अभियान का नेतृत्व किया उसकी देश दुनिया में प्रशंसा हो रही है । इससे न केवल सभी प्रभावित मजदूर भाइयों का जीवन सुरक्षित हुआ साथ ही सुरक्षित उत्तराखंड के संदेश की भी पुष्टि हुई ।
बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण और प्रक्रियाओं के सरलीकरण ने राज्य में विकास के फास्ट ट्रेक का निर्माण किया है । जिस पर विकसित उत्तराखंड का लक्ष्य लेकर चलने वाली विकास की गाड़ी का सुपरफास्ट गति से दौड़ना तय है ।