शौर्य की गाथा सुनाता है खड़ा यह दुर्ग देखो,
कितने वीरों को है देखा शीश मां पर है चढ़ाते।
जान की चिन्ता नहीं थी मन में बस इक जोश था
वीरता के पथ पे चलना बस यही इक शोर था।
शौर्य की गाथा…..
था समय ऐसा है आया ,संकटों ने घेरा था,
मातृ भूमि पर अरि ने ऐसा धावा बोला था.
थी दिशाएं चारों भय में सिमटी लग रही,
ऐसे में वो बेटा मां का खून में उबाला था।
शौर्य की गाथा….
बांध कर सर पे वो कफ़न सीना ताने था है निकला,
थी कसम खाई जो उसने
जब तलक है सांस तन में मां की रक्षा करना है।
रक्त की नदियां बहें या जलजले कितने भी आएं
मां पे ना बस आंच आए।
शौर्य की गाथा….
रण भूमि में था पराक्रम उसने जो दिखलाया था,
जाने के भी बाद उसने चक्र परमवीर पाया था।।
है सुनहरे हर्फ ने उसका है नाम जो लिखा,
गाथा ये सबको सुनाता है अटल यह दुर्ग देखो।।
शौर्य की गाथा….
-श्रीमती निहारिका झा
खैरागढ़ राज.(36 गढ़)