करे प्यार हम भी,बने अब निडर से,
नजर मिल न जाए,किसी भी नजर से।
डरे ना कभी भी इस कठिन दौर से भी,
बनाये अजी हौसला हर सफर से।
डरा सा रहे आज दिल आशना से,
चलो अब बचाऐ कि दुनिया कहर से।
छुपाऐ कहो आज तन्हाईयो को,
चलो आज बचकर चले रहगुजर से।
सदा याद रखना हमे भूलकर भी,
कभी याद आऊँ कि मीठी नजर से।
जुड़े दिल के मेले दिखे आज हमको,
कभी दूर जाये न *ऋतु के नगर से।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़