माँ तेरी ममता ईश्वर का वरदान है,
हमें लाकर धरा पर तूने किया उपकार ,
दिया देखने का मौका इस संसार को,
माँ तेरे चरणों को नित वंदन करता हूँ।
माँ सच में तुम करूणा की देवी हो,
इक थपकी से सारे सुख हर लेती हो,
अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया,
शिष्टता व ईमानदारी का पाठ पढ़ाया।
तारों की छाँव में ही उठ जाती थी,
भोर में घास पाती को चली जाती थी,
अगर हम देर तक सोये रहते थे,
तब हमको तुम मीठी डाँट लगाती थी।
तुम धैर्य ,संयम ,प्रीत की पाठशाला हो,
मेरी हर शरारत को बालपन बताती थी,
स्कूल से घर आने पर सिर सहलाती थी,
तेरे एहसानों का कर्ज नहीं उतार सकता।
जब -जब मेरे में मन में पीड़ा होती,
माँ तब मैं नित तेरा ध्यान करता हूँ,
तेरे बारे में कुछ लिखना सम्भव नहीं है,
सूरज को दीप दिखाना जैसा ही है।
– कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखण्ड