मनोरंजन

गीत – मधु शुक्ला

कहे शहनाईयों की गूँज यह हरदम,

किसी की आँख होगी आज बेहद नम।

 

विदा होती किसी की जब दुलारी है,

खुशी सब व्यक्त करते रीत प्यारी है।

हँसें सब पर विदाई का सताये गम…… ।

 

पराया धन कहीं क्यों बेटियाँ जातीं।

प्रथायें ब्याह कीं यह बात समझातीं।

रहो खुश साथ पिय के कह रहे यह हम……।

 

बजे जिस द्वार शहनाई हँसे आँगन।

प्रफुल्लित परिजनों का दिख रहा आनन।

सजे बेटी तभी पायल बजे छम छम…… ।

कहे शहनाईयों की गूँज यह हरदम।

—–   मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

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