चाहत कैसी होती ये कैसी चाहत है।
मुश्किल बड़ी दिलो की होती हालत है।।
जब याद बहुत आती है वो।
न जाने हमे कितना तड़पती है वो।।
मोहब्बत भी गजब होती है यारो।।
दिलवालो को दिलजला बनाती है।
न जाने किसकी बददुआ लगी मेरे चाहत को।।
उसकी याद दिल के जख्म को हरा कर जाती है।
वो पहली नज़र में नजरो का मिलना था।।
सुर्ख गुलाबी लाल लवों का हंसना
घायल कर गया हमे।।
चाहत कैसी होती ये चाहत है ।
मुश्किल दिलो की ये हालत है।।
हम आपकी चाहता में खुद कैद क्या हुए।
हमारे अपनो से बेगाने भी हम हुए।।
अब रात दिन तेरा ही खयाल है।
चाहत में होता हमेशा बुरा हाल है।।
पर मजबूर खुद के दिल से हु मेरे यारो
न नजर मिलती न दिल धड़कता।
खुशी खुशी रहता नही में कभी सिसकता।।
क्या पता वजह कुछ खास थी जो हुई हमारी मुलाकात थी।
यू न बेवफा का इल्जाम मेरी चाहत पे लगता।।
आप सब का कसूरवार हू चाहत का शिकार हु।
मनचलों जैसी अपनी हालत है चाहत कैसी होती ये चाहत है।।
मुश्किल दिलो की ये हालत है मुश्किल दिलो की हालत है ।।
– राजेश कुमार झा, बीना, मध्य प्रदेश