निर्मल करके तन- मन सारा,
सभी विकार मिटा दो माँ,
कभी किसी को बुरा न कहूँ ,
प्रार्थना मेरी स्वीकार करो माँ।
तुम तो करूणामयी हो मातेश्वरी
हम दीनों पर तुम दया करो माँ।
मेरे अन्दर ऐसी ज्योति जगाओ,
हम सबका उपकार करे माँ शारदे,
हमसे कोई त्रुटि हो जाये तो,
उससे हमको मुक्ति दिलाओ माँ।
माँ शारदे तुमसे मेरी यही आराधना,
नित श्रद्धावान व विनय शील बना रहूँ।
प्रज्ञा रूपी किरण पुंज तुम हो
मैं तो निपट अज्ञानी हूँ माँ,
हर दो अन्धकार इस जीवन से
ऐसी हम सब पर कृपा कर दो।
– कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग,उत्तराखण्ड