मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

अब सजी महफिल मे आना हुआ,.

तुम न आये फिर बहाना सा हुआ।

 

याद मे दिल अब तो मस्ताना हुआ,

देखकर अब तुमको मुस्काना हुआ।

 

रह रहे अब लोग घर परिवार मे,

आज तो बेकार समझाना हुआ।

 

प्यार  मे तेरे  हमें  रोना पड़ा,

आपकी चाहत मे दीवाना हुआ।

 

लग गयी अब आँख तुमसे क्या करे,

याद मे तेरे तो पछताना पड़ा।

 

छोड़कर बेटा गये तुम हो शहर,

हाय फिर घर आज वीराना हुआ।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

मौसम आते-जाते – समीर राठौर

newsadmin

‘राष्ट्रीय कवि संगम’ देहरादून के तत्वावधान में हुई मासिक काव्य गोष्ठी

newsadmin

उम्र भर का फासला – मधु शुक्ला

newsadmin

Leave a Comment