मनोरंजन

तैयार हो गई ~ कविता बिष्ट

गिले शिक़वे की बातें ……

देखो बेज़ार हो गई…….

जज़्बात के भ्रम में ……

जाकर मेरी हार हो गई……

 

ज़माना भी हमारे ……

ख़िलाफ ही तो था……

उनके संग मुलाकातें ……

भी तो दुश्वार हो गई……

 

ख़ुशियों की महफ़िल ……

सजने को तैयार थी…….

तुम्हारी दीवानी उस ……

वक्त फ़नकार हो गई……

 

कवि की कविता से……

अनछुए एहसास लेकर……

दिल के किताब में……

उतरने को तैयार हो गई…….

~ कविता बिष्ट , देहरादून , उत्तराखंड

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