मनोरंजन

मुक्तक (नेपाली) – दुर्गा किरण तिवारी

नलिनू हीनभाव कसै जोडिन्छन् मनहरू बाँडिए पनि,

कुण्ठा ,कपट ,कसर नराख्नू कत्ति मनहरू टाढिए पनि,

घिउ थप्दै नथप्नू बलेको आगोमा, पानीले निभाउनु बरु,

बिद्रोहको आगो कतै नसल्काउनू, मनहरू भाँडिए पनि।

मुक्ति (हिंदी) –

रुसवा मत लेना, कोई जुड़ जाएगा दिल बटे भी,

इल्जाम, दोगलापन, पत्थर न रखना, दिल कितने भी दूर हो,

जलती हुई आग में घी न मिलाए, बजाय पानी से बुझाए,

बगावत की आग कहीं मत जलाओ, दिल भले ही टूटे हों।

– दुर्गा किरण तिवारी, पोखरा,काठमांडू , नेपाल

Related posts

झूठा निकला तुम्हारा प्रेम – विनोद निराश

newsadmin

रस्किन बॉन्ड – झरना माथुर

newsadmin

परियों की रानी – मनीषा सिंह

newsadmin

Leave a Comment