कार्तिक माह बड़ा ही पावन, विविध पर्व नित आते हैं।
दिवस द्वादशी कृष्णपक्ष को, शुभ त्योहार मनाते हैं।
गाय और बछड़े का पूजन, मन से करतीं माताएं,
संतानों पर आने वाले, हर संकट टल जाते हैं।
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धनतेरस को धन्वंतरि जी, प्रकटे सागर मंथन से।
आयुष द्वारा मुक्त कराते, रोग-व्यधि के बंधन से।
अमिय कलश सँग लेकर आये, उपकृत हों सब देव-मनुज,
हर घर में धन-धान्य भरा हो, तन-मन सब हों कंचन से।
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नरकासुर का वध करने को, माधव धरती पर आते हैं।
सोलह सहस्त्र कन्याओं को, मोहन मुक्त कराते हैं।
अत्याचारों से मुक्ति मिली, तब सबके मन होते हर्षित,
दीप दान कर के तब जन-जन, दीपों से द्वार सजाते हैं।
– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश