वफा करना सिखाया जा रहा है,
खुशी से अब फँसाया जा रहा है।
उठाता है वो नखरे दिल लगा के,
अदाओ से जताया जा रहा है।
किया है प्यार उसने जब मुझे अब,
लगे दिल मे बिठाया जा रहा है।
सुना है अब दिवाली पास मे ही,
घरो को अब सजाया जा रहा है।
मुहब्बत का खजाना सा लगे वो,
कसम मे दिल लुटाया जा रहा है।
– रीता गुलाटी ऋतंंभरा, चण्डीगढ़