आज मँहगा बनाना भवन हो गया,
गर है पैसा तो समझो चमन हो गया।
प्यार तेरा हमें जब सताने लगा,
इश्क तो बेवफा बदचलन हो गया।
वो रूलाता फिरा यार हमको बड़ा,
साथ रहना लगे अब कफ़न हो गया।
चुप का तमगा लिये आज वो है खड़ा,
बात बोले नही अब तपन हो गया।
आज छाने लगा यार तेरा नशा,
इश्क डूबा लगे अब पतन हो गया।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा,चंडीगढ़ ,मोहाली