मनोरंजन

गीतिका – मधु शुकला

सौ बरस की जिंदगी का ईश यदि उपहार दे,

प्रार्थना हम यह करें ममतामयी परिवार दे।

 

मित्र, ईश्वर और रिश्तेदार खुश हमसे रहें,

भावनाओं को हृदय करुणामयी विस्तार दे।

 

दूर बीमारी रहे नजदीक दुख आये नहीं,

जिंदगी उल्लास की भरपूर मृदु बौछार दे।

 

जो मिले संतान वह संस्कार को भूले नहीं,

मान मर्यादा सहित वह वंश को उजियार दे।

 

यही साथ हो मनमीत प्यारा हर कदम पर सर्वदा,

प्रभु सदन को मृदु मधुर परिहास की झंकार दे।

 

प्राप्त अपनापन करे मन जेब भी खाली न हो,

मुस्कुराता मान देता प्रभु हमें घर द्वार दे।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

वक्त – जया भराड़े, बड़ोदकर

newsadmin

कब हुआ था कभी – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

कविता – प्रदीप सहारे

newsadmin

Leave a Comment