शरद चाँदनी रात है आयी
लेकर अमृतमयी मधु बरसात !
वसुंधरा खिल-खिल है आयी…..,
और बरसी आनंद की सौगात !!1!!
विशाल नीला गहरा गगन
शुभ्र चाँदनी में नहा रहा !
दिखा रहा अप्रतिम नज़ारे….,
बरबस नयनों में समा रहा !!2!!
पड़ी राकापति की शुभ दृष्टि
हुआ पूरा परिवेश चाँदनीमय !
बदली संपूर्ण सृष्टि की गति…..,
झंकृत हुयी तन मन की लय !!3!!
शारदीय पूर्णिमा के संग साथ
हो रहा शरद ऋतु का आगमन !
बदल रही प्रकृति और आबोहवा……,
अब छा रही खुमारी तन बदन !!4!!
खीर भोग चन्द्रमा को कर अर्पित
करें अमृत सुख समृद्धि की कामनाएं !
माता श्रीलक्ष्मी की कर पूजा अर्चना……,
चलें देखते निशाकर की सोलह कलाएं !!5!!
अद्भुत शक्ति से भरपूर प्रकाश
मन में खिलाए है सोम चाँदनी !
जी भरकर देखलें ये शशि राकेश…,
तो, हो उठे श्रृंगारित मन कुमुदिनी !!6!!
चली आयी पावन शरद पूर्णिमा
बरसाते जीवन में मधु मकरंद !
करते लंबी आयु की है कामना…..,
जीवन में फैले आनंद ही आनंद !!7!!
–सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान