मनोरंजन

हे हनुमान – कालिका प्रसाद

हे  पवन पुत्र श्री हनुमान जी,

तुम   भक्तों के  अति प्रिय हो,

तुम ही प्रेम के सच्चे स्वरूप हो,

हम सब तुमको वंदन करते है।

 

तुम्हारे  द्वारे जो   भी आता है,

मन    मांगी मुरादें  वह  पाता,

तुम्हारा   नाम जो   भी भजता,

इस भव सागर से पार हो जाता।

 

सीता राम को  तुम नित भजते,

हनुमते हमें  तुम.  भक्ति दे दो,

जीवन को तुम मंगलमय कर दो,

जगवंदन केसरीनंदन सबके कष्ट हरो।

 

तुम   दया के  सागर  हो प्रभु जी,

जो भी   तुम्हारा   नाम  जपता ,

उसकी हर.  विपदा   टल जाती,

श्री हनुमान जी तुम्हें शत् शत् प्रणाम।

 

– कालिका प्रसाद सेमवाल

मानस सदन अपर बाजार

रूद्रप्रयाग  उत्तराखण्ड

Related posts

कविता – मधु शुक्ला

newsadmin

गोण्डा के देहदानी कवि सुधीर श्रीवास्तव को मिला “विद्या वाचस्पति विशेष मानद स्मृति” एवं “काव्य रस साधक” सम्मान

newsadmin

बचाए भारतीय संस्कृति – अमन रंगेला

newsadmin

Leave a Comment