नगपति खुद जिसका मुकुट बना,
सागर जिसके पग धोता है !
भारत जैसा घर हम सब का ,
नसरू भैया क्यों रोता है !!
मंदिर मस्जिद औ गुरुद्वारे,
देखो लगते कितने प्यारे !
मीठे दाने खारे मोती ,
है रंग सभी न्यारे न्यारे !!
भाषा कड़वी भाषण मीठा ,
बेमतलव आपा खोता है !
नसरू भैया क्यों रोता है !!1
कहता है घर में डर लगता ,
क्यों भोली जनता को ठगता ।
उससे कुछ बोला है तूने ,
जो पत्थर ले पीछे भगता !!
सेना से तेरा नाता है ,
या आतंकी ही पोता है !
नसरू भैया क्यों रोता है !!2
जब भी भारत में विपद पड़ी ,
मोमिन की छाती वही अड़ी !
भूला तू बाबा कलाम को ,
गीता के संग कुरान पढ़ी !!
पद की मर्यादा मत तोड़े ,
यह गृह युद्ध को नियोता है !
नसरू भैया क्यों रोता है !!3
अकबर सेना में मान लड़े ,
राणा सेना में खान लड़े !
ये रिस्ता बहुत पुराना है,
हलधर” टूटे ना खड़े खड़े !!
इतिहास झाँक ले थोड़ा सा ,
क्यों बीज गरल का बोता है !
नसरू भैया क्यों रोता है !!4
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून