स्त्रियाँ बहुत अच्छी रफ्फूगर होती है
सिलती है रोज उन सुराखों को
जो जाने अनजाने हो जाते हैं
रिश्तों, दोस्ती और परिवारों में
अपनी वाणी और मधुर व्यवहार के
महीन धागों से करती हैं वह
बेहतरीन सिलाई और बुनती हैं
रिश्तों को इतनी कुशलता से
ताकि दोबारा न उधड़ जाए
समय के थपेड़ों से या
किसी अनजानी गलतफहमी से
अपने स्नेहिल स्पर्श से मरहम
लगाती हैं अपने रिश्तों पर
चाहती हैं मजबूती से निभाना
बिखरते उधडते सम्बंधों को
उधड़ते रिश्तों के सुराखों के आस पास
बुनती हैं एक मज़बूत ताना-बाना
अपनी ममता और स्नेह के टांकों से
करती हैं बेहतरीन सिलाई
बहुत अच्छी कला से नवाजा हैं स्त्रियों को
इसीलिए स्त्रियाँ रिश्तों की धुरी हो जाती हैं
सच में, स्त्रियांँ बहुत अच्छी रफ्फूगर होती हैं।
– रेखा मित्तल, सेक्टर-43, चण्डीगढ़