मनोरंजन

गीत- युद्ध की आशंका – जसवीर सिंह हलधर

विश्व में छाने लगीं अब युद्ध की तैयारियां ।

धुंध छायी हर तरफ रोने लगी किलकारियां ।।

 

बाज लोहे के दिखाते पैंतरे आकाश में ।

आग तोपों से निकलती युद्ध के अभ्यास में ।

और धरती पर उगीं बारूद की फुलवारियां ।।1

 

खींच कर भागे फिरंगी लीक  इनके युद्ध की ।

लुप्त है संभावना संघर्ष के अवरुद्ध की ।

नाम पर इस्लाम के बहती लहू की धारियां ।।2

 

हर तरफ चर्चा छिड़ी है धर्म के उन्माद पर ।

मज़हबी फसलें उगी  जिब्राइली उत्पाद पर ।

एक जड़ फिर भी बनी हैं नफरतों की क्यारियां ।।3 टी

 

रूस अमरीका लगे हैं हाथ अपने सेंकने ।

तालिबानी और हिज्बुल्ला खड़े बम फेंकने ।।

आग में घी डालती ईरान की अय्यारियां ।।4

 

पेड़ मानव सभ्यता का नष्ट ख़ुद करने लगे ।

मज़हबी आडंबरों ने हम सभी अब तक ठगे ।

मूल में देखो छुपी “हलधर “पतन बीमारियां ।।5

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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