हे माँ चंद्रघंटा, तपश्चारिणी,
तुम सभी दुःखों की तारिणी हो,
माँ दुर्गा का तुम तीसरा रूप हो,
हमारे हृदय मेें तुम्हारा हमेशा वास है।
आँखों में काजल लाल चुनरिया,
कानों में कुण्डल नाक में नथनी,
हाथों में चूड़ी खन- खन खनके,
शंख, त्रिशूल हाथों धारण किए हो।
तुम चार भुजाओं वाली हो,
शेर में सवार हो रखी हो,
तुम्हारे चरणों का पूजन तो,
सम्पूर्ण ब्रह्माण्डवासी नित करते है।
माँ तुम ऊर्जा के अजस्र स्रोत हो,
उज्ज्वल स्वरूप है तुम्हारा,
तुम तो अनुत्तमा और सर्वश्रेष्ठ हो,
माँ देती हो हम सब को सहारा।
दीन-दुखियों का तुम दुःख हरती हो,
हम सब तेरे शीश नवाऊँ माता,
नवरात्रि में तुम्हें हम खूब रिझाये,
रात दिन माँ तेरे ही गुण गाये।
– कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखण्ड