हुन्छन् भुल सच्च्याईका धारले दोषलाई रेट्न सकिन्छ,
अथाह दु:खका सागरमा खोजे खुसी भेट्न सकिन्छ,
भोगिन्छन् यावत कुरा जीवनका भवसागर पार गर्दा,
हर भोगाइलाई जीवनको परिभाषामा समेट्न सकिन्छ ।
मुक्ति (हिंदी) –
गलतियाँ तो होती ही हैं,सत्य की धार के साथ दोषों को नष्ट किया जा सकता है,
असीमित दुखों के सागर में खोजो तो सुख मिल सकता है,
जीवन के सागर को पार करते समय आप सब कुछ सहते हैं,
जीवन की परिभाषा में हर अनुभव शामिल हो सकता है,
– दुर्गा किरण तिवारी, पोखरा,काठमांडू , नेपाल