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ग़ज़ल – रीता गुलाटी

यार  नजरें भी जरा हमसे मिला  कर जाते,

प्यार इतना जो किया यार जता कर जाते।

 

हो गये दूर अजी हमसे बिना ही बोले,

कम से कम शिकवे गिले हमको सुना कर जाते।

 

छोड़कर हमको जमाने में कहाँ खोये थे,

रात दिन तड़फे पिया कुछ तो घटा कर जाते।

 

आज  भरते  ही  रहे  आँख  में मेरे आँसू,

राह मिलने की पिया आज बता कर जाते।

 

गीत लिखते रहे दिन रात हँसाते मुझको,

हाय छोड़ा है अधर में कुछ तो वफा कर जाते।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़

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