हर विधा में जो शुमार है।
उसी का नाम अशोक कुमार है।।
सहज, सरल, मिलनसार है।
समाज हित में सर्वोपरि, नेक विचार है।।
शिक्षक की भूमिका में बच्चों के शिल्पकार है।
मुंगेली के शान, सधे हुए साहित्यकार है।।
खुशमिजाज और सदाचार है।
साहित्यकारों का अमूल्य उपहार है।।
स्पष्टवादी, तेज, तर्रार है।
कुशल नेतृत्व, अपने समाज के आधार है।।
चंद पंक्ति में उनके व्यक्तित्व का उद्गार है।
हँसमुख से सादर नमस्कार है।।
– हंसदेव बाँधड़े, मुंगेली, छत्तीसगढ़