जीए चलें अपने अंदाज में
और रहें सदा यहां पे मस्त !
सतत बनें रहें अपने आज में…..,
और रखें सदा स्वयं को व्यस्त !!1!!
कल की चिंता हम क्यों करें
बस जीएं चलें अपने वर्तमान में !
औरों की फिक्र यहां क्यों करें……,
सदैव बनें रहें खुश हर हाल में !!2!!
आपधापी और भागदौड़ से
सदा चलें यहां बचते बचाते !
और बनें रहें स्वयं में खुश प्रसन्न…..,
रहें हर हाल में हँसते मुस्कुराते !!3!!
उलझें नहीं कभी समस्याओं से
और चलें ढूंढ़ते उनके समाधान !
करें तुलना नहीं स्वयं की औरों से….,
बस, करें स्वयं के गुणों की पहचान !!4!!
अपने अंदाज में जीने रहने का
है जीवन में कुछ अलग ही मजा !
बस, करते चलें औरों को नजरअंदाज….,
और प्रभु इच्छा में बनाए रखें रज़ा !!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान