नित दहशतगर्द भेज भेजकर,
मचा रहा दुष्ट देश में उत्पात ।
कर रहे कपटी जगह बदलकर,
सेना पर कायर सा आघात ।
सेना पर कायर सा आघात,
लगता बात पिछली भूल गए।
याद नहीं उनको इकहत्तर !,
जब उनके देश के टुकड़े हुए ।
यह भारत की वह सेना है,
जो अपनों का हिसाब चुकाती है।
तुम किसी भी खोह में छुप लो,
खोजकर परलोक जरुर पठाती है।।
बंद करो मेरे प्यारे देशवासियों,
खेलों और बातों का व्यापार।
ऐसे खल लोगों से कैसा खेल,
जो कर रहे देश पर नित वार।
जो कर रहे देश पर नित वार,
पुकार सुन लो उन बच्चों की ।
जिनके सिर से साया छिन गया,
सूनी मांगें हो हुई जिनके मां की।
जिन मांओं के हैं लाल छिने,
देखो खुद को रख जगह उनकी।
प्रतिशोध की ज्वाला भड़क उठेगी,
जब सोचोगे अपनों की अर्थी उठती।।
– हरी राम यादव, अयोध्या , उत्तर प्रदेश
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