रात है घनेरी छाई कृष्ण जन्म बेला आई,
कारागार के भी द्वार आप खुल जाएंगें।
प्रहरी सब सो जाएं अवतारी तब आएं,
सूप में लिटा के शिशु, गोकुल में लाएंगे।
देवकी यशोदा सोएं शिशु बदले तो रोए,
विधना का खेल भला कैसे जान पाएंगे।
तारणहार हैं आये संग खुशियाँ भी लाये,
हर्ष से जन्म अष्टमी सभी जन मनाएंगे।
– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा , उत्तर प्रदेश