मनोरंजन

गीत – जसवीर सिंह हलधर

लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है ।

देवता भयभीत हैं क्यों स्वर्ग धरती आ रहा है ।।

 

अब हवाएं मौन होंगी नीड़ निगलेगी न आँधी ।

यातनाएं गौण होंगी कह गए यह बात गाँधी ।।

भूख से होंगी न मौतें शांति होगी मरघटों में ।

अब हलाला भी न होगा क्रांति होगी घूंघटो में ।।

गीत जन गण देवता के ख़ुद हिमालय गा रहा है ।

बिजलियों के साथ बादल भी जमीं पर छा रहा है ।।

लोक में परलोक नक्शा उतारा जा रहा है ।।1

 

मौत से होगी न शादी जिंदगी आसान होगी ।

नर्क में होंगे जिहादी मौत ही पहचान होगी ।।

देश का कानून होगा जालिमों को अब पनौती ।

योजनाएं अब बनेंगी जुल्म शोषण को चुनौती ।।

न्याय के अंगार को सूरज स्वयं दहका रहा है ।

एक योगी जेल में अपराधियों को खा रहा है ।।

लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है ।।2

 

स्वप्न हो साकार सबका मांग लो बढ़कर दुआएं ।

यज्ञ में आहूति दें हम भूलकर मज़हब बलाएं ।।

राष्ट्र के निर्माण हित में जो कहो खुलकर कहो अब ।

कौम के उत्थान में यूँ शांत ना बैठे रहो अब ।।

दाम खेती की उपज का भी बढ़त दिखला रहा है ।

मंत्र भारत भारती का एक सबको भा रहा है ।।

लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है ।।3

 

देश की खातिर जियें हम शान से सर को उठाये ।

चाँद मंगल सैर कर ली सौर मंडल चूम आये ।।

आज मेरे देश में आने लगी खुशहालियां ।

फूल फल से लद रहीं मेरे चमन की डालियां ।।

छंद का आयाम मेरी लेखिनी पर छा रहा है ।

शारदे की साधना का लाभ “हलधर “पा रहा है ।।

लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है ।।4

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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