मनोरंजन

चली नाना की सवारी – सुनील गुप्ता

चली नाना की प्रिय सवारी

घूमने निकली दुनिया सारी  !

बैठकर नाना के कांधों पर……,

करे विराज बातें बड़ी ही प्यारी !!1!!

 

है विराज बड़ा ही किस्मत वाला

जिसे मिला नाना का सहारा   !

ये दिन भर करता मस्ती न्यारी……,

बना विराज सभी का राजदुलारा !!2!!

 

चले सुबह ओ शाम सवारी

घूम आए मनपसंद जगह पर   !

है ये सवारी हल्की फुल्की…..,

बना विराज है इसका शाही सवार !!3!!

 

है ये सवारी अनुपम न्यारी

सुनाए चले गीत किस्से कहानी  !

सदा अपनी बात मनवाए चले…….,

और करे दिनभर है मनमानी !!4!!

 

प्रिय विराज है नानू का लाड़ला

कभी बनता ये हाथी घोड़ा  !

करता दिनभर ख़ूब मटरगश्ती…….,

और कभी सताए थोड़ा-थोड़ा !!5!!

 

है ये पेड़ पौधों का दीवाना

देता खाद पानी उनको दिनभर  !

ख़ूब खाए तोड़के आम पपीता….,

करे अठखेलियां बन शैतान बंदर !!6!!

 

देकर कभी-कभी नानू को गच्चा

फिर छिप जाता, ये प्यारा बच्चा  !

अपनी तुतलाती मीठी आवाज में…,

ये जीत लेता है दिल सबका  !!7!!

 

बना नानू के डंडे को रेल

घुमाए चले उसे यहां से वहां  !

जब चलती उसकी छुक-छुक रेल…..,

सब बैठकर लेते आनंद मजा !!8!!

 

है नानू विराज की जोड़ी प्यारी

बनी संबंधों की अप्रतिम कहानी  !

रहे सदा प्रेम आत्मीयता ऐसी……,

और सुनाए सफर की यादें ये सुहानी !!9!!

-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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