चली नाना की प्रिय सवारी
घूमने निकली दुनिया सारी !
बैठकर नाना के कांधों पर……,
करे विराज बातें बड़ी ही प्यारी !!1!!
है विराज बड़ा ही किस्मत वाला
जिसे मिला नाना का सहारा !
ये दिन भर करता मस्ती न्यारी……,
बना विराज सभी का राजदुलारा !!2!!
चले सुबह ओ शाम सवारी
घूम आए मनपसंद जगह पर !
है ये सवारी हल्की फुल्की…..,
बना विराज है इसका शाही सवार !!3!!
है ये सवारी अनुपम न्यारी
सुनाए चले गीत किस्से कहानी !
सदा अपनी बात मनवाए चले…….,
और करे दिनभर है मनमानी !!4!!
प्रिय विराज है नानू का लाड़ला
कभी बनता ये हाथी घोड़ा !
करता दिनभर ख़ूब मटरगश्ती…….,
और कभी सताए थोड़ा-थोड़ा !!5!!
है ये पेड़ पौधों का दीवाना
देता खाद पानी उनको दिनभर !
ख़ूब खाए तोड़के आम पपीता….,
करे अठखेलियां बन शैतान बंदर !!6!!
देकर कभी-कभी नानू को गच्चा
फिर छिप जाता, ये प्यारा बच्चा !
अपनी तुतलाती मीठी आवाज में…,
ये जीत लेता है दिल सबका !!7!!
बना नानू के डंडे को रेल
घुमाए चले उसे यहां से वहां !
जब चलती उसकी छुक-छुक रेल…..,
सब बैठकर लेते आनंद मजा !!8!!
है नानू विराज की जोड़ी प्यारी
बनी संबंधों की अप्रतिम कहानी !
रहे सदा प्रेम आत्मीयता ऐसी……,
और सुनाए सफर की यादें ये सुहानी !!9!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान