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तुलसी — मधु शुक्ला

रीति सनातन माता कहती।

तुलसी हर आँगन में रहती।।

विष्णुप्रिया वृंदा कहलाती।

होती हरि चरणों की दासी।।

 

शुचि अति तुलसी दल कहलाता।

प्रभु  प्रसाद  में  जगह  बनाता।।

विष्णु, श्याम को यह अति भाता।

भोग  न  इसके  बिन लग पाता।।

 

पौधा तुलसी का गुणकारी।

दूर  करे  यह  बहु  बीमारी।।

वैद्य जनों की शान बढ़ाता।

औषधियों में डाला जाता।।

 

गुण तुलसी जब जग ने जाने।

लोग  सयाने  लगे  बुलाने।।

बढ़ा आज तुलसी का डेरा।

प्रशंसकों  ने  इसको  घेरा।।

— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश

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