मनोरंजन

गजल – रीता गुलाटी

नये आज रिश्ते,जलाने लगे हैं,

वफाओं के रिश्ते पुराने लगे हैं।

 

न होना खफा यार हमसे कभी भी,

बिना बात के हमको नचाने लगे हैं।

 

करे बात वो भी अदावत भरी क्यो?

भरोसा.. हमारा गिराने लगे हैं।

 

कहे बात दिल की,छुपायी जो दिल की,

छुपे राज दिल के बताने लगे हैं।

 

नही दिख रही अब वफा की बहारें,

अरे आज *ऋतु को सताने लगे हैं।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

डोकलाम विवाद (भाग -1) – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

पाती प्रियवर क्यों लिखे- सविता सिंह

newsadmin

चलो चंद्रयान चलो – सुनील गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment