ध्वजा में बसते शिवा गणेश ,गूंजते गीता के उपदेश ।
हमारा प्यारा भारत देश , तिरंगा लहर रहा है ।।
हिमालय है जिसका सरताज ,सिंधु तक फैला जिसका राज ।
व्योम तक फैला है परिवेश ,तिरंगा लहर रहा है ।।1
आदि से अब तक हुआ विकास , पुराना है अपना इतिहास ।
वेद ने दिया सदा संदेश ,तिरंगा लहर रहा है ।।2
कई भाषाएं करें निवास ,गृहस्थ के साथ रहे सन्यास ।
सभी धर्मों का यहाँ निवेश ,तिरंगा लहर रहा है ।।3
सभी ऋतुओं का है उपहार ,सैकड़ों नदियों से शृंगार ।
भिन्नतम भाषा जाति प्रदेश ,तिरंगा लहर रहा है ।।4
विश्व से साझा किया अशोक ,लोक में फैलाया आलोक ।
मानते गुरुओं का आदेश ,तिरंगा लहर रहा है ।।5
सभी हैं दिव्य आर्य संतान ,नम्रता ही सबकी पहचान ।
यही आर्यावृत का अवशेष ,तिरंगा लहर रहा है ।।6
दासता झेली है कई साल ,हिला ना मूल झुका ना भाल ।
नहीं पाला है बैर द्वेष ,तिरंगा लहर रहा है ।।7
सजग हैं जल थल में जांबाज ,फिरें नभ में प्रहरी ज्यों बाज ।
विश्व में पायी जगह विशेष ,तिरंगा लहर रहा है ।।8
आज है अखिल विश्व में मान ,चाँद मंगल तक पहुँचे यान ।
गरीबी है थोड़ी सी शेष ,तिरंगा लहर रहा है ।।9
किया “हलधर” ने पूरा गान ,हमेशा भारत देश महान ।
सुनेगा कविता देश विदेश ,तिरंगा लहर रहा है ।।10
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून