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गीत – मधु शुक्ला

खुशहाल  वतन  में  जीने  का ,  नैनों  में  सपना  रहता  है।

तुलना जन गण मन अधिनायक, की यह देवों से करता है।

 

साधन सब  जीने के पायें , शिक्षा से रोशन हर घर हो।

बेटे  की  दुल्हन  मान  गहे, खुद्दार सुता का घर वर हो।

मेरे नैनों में स्वप्न यही, पूरी शिद्दत से पलता है…….. ।

 

धर्मों का मेल करा दे जो, ऐसा जननायक मिल जाये।

सद्भावों के जरिये भारत, प्राचीन छबी अपनी पाये।

मनभावन सपना यह प्यारा, मेरी आँखों में हँसता है…..।

 

गंगा जमुना का नीर जहाँ, अविरल बहकर जीवन देता।

सैनिक रक्षा के हित जीता, हलधर श्रम से फसलें सेता।

बलिदान परिश्रम का मिश्रण, दृग सपनों को अति जचता है।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

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