तीन पर्वतों के अंचल में, मंदिर दिव्य पुरातन है,
करवाने रुद्राभिषेक को, होता शिव आवाहन है।
दोष निवारण कालसर्प का, भक्त त्रयम्बक में आते,
मंत्र और पुष्पों के द्वारा, होता नित आराधन है।
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गूढ़ रहस्य अमरता का माँ, पार्वती को बतलाया,
सर्वभेद ब्रह्मांड-सृष्टि का, इसी गुफा में समझाया।
कोई और न सुन पाए यह, सब कुछ त्यागा शिव जी ने,
इसी गुफा ने अमरनाथ का, नाम तभी से था पाया।
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सर्व कामना पूरी करते, भक्तों की मनकामेश्वर,
नदी गोमती के तट बसते, जन-जन के शिव परमेश्वर।
मनोकामना पूरी होती, जो अभिषेक करे प्रभु का,
थोड़े में ही अति प्रसन्न हों, श्रावण में श्री भूतेश्वर।
– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश