Vivratidarpan.com तिनसुकिया – रामदयाल जी अपनी पत्नी के श्राद्ध के दिन बहुत खुश नजर आ रहे थे। मानो उन्हें ज़िंदगी में बड़ी चीज हासिल हो गई है। लोग आश्चर्य चकित थे। एक व्यक्ति
पूछ बैठा:रामदयाल जी आपकी खुशी का राज बताएंगे।
रामदयाल : जिसका हाथ पकड़कर दुल्हनिया बनाकर लाया था उसे गंतव्य तक पहुंचा दिया। मुझे आज बहुत अधिक आत्मसंतुष्टि मिल रही है। मैं ईश्वर का शुक्रगुजार हूँ।
-डॉ.अर्चना पांडेय अर्चि, तिनसुकिया, असम