भारत के प्रजा तंत्र जनो ,
नेता या ढ़ोंगी संत बनो ।।
मंत्री को जीजा जी कह दो ,
साले वाला ये मंत्र चुनो ।।
साले का रिश्ता आला है ,
ये रिश्ता बहुत निराला है ।
पत्नी भक्तों की माला है ,
साला ही सिर्फ उजाला है ।।
साले का रूप न काला है ,
जीजी के उर का ताला है ।
साला ही सुख की कुंजी है ,
साला रिश्तों की पूंजी है ।।
साला ही तेज कतरनी है ,
ये ही तो श्रेष्ठ सुमरनी है ।
पत्नी मंत्री की ढाल तुल्,
साला राणा का भाल तुल्य ।।
पत्नी के उर बस जायेगा ,
मंत्री से काम करायेगा ।
ऐसे ही काम की एवज में ,
तुम मोटा मोटा माल धुनो ।।
भारत के प्रजा तंत्र जनो ,
नेता या ढोंगी संत बनो ।।
यदि ये औषधि ना डोज लिया,
यदि नहीं नमस्ते रोज किया ।
जिंदगी कोफ़्त हो जायेगी ,
रोजाना पुलिस सतायेगी ।।
ना कर पाओगे यहाँ मौज ,
कुर्ता फाड़ेंगे लोग रोज ।
बस फटी पैंट नेकर होगा ,
झंडा सीढ़ी वैनर होगा ।।
रिश्वत का खेल नहीं होगा ,
गाड़ी में तेल नहीं होगा ।
कपड़ों पर दमक नहीं होगी ,
चैहरे पर चमक नहीं होगी ।।
यदि रुतवा कायम रखना है,
तो सरल दलाली मार्ग चुनो ।
भारत के प्रजा तंत्र जनो ,
नेता या ढोंगी संत बनो ।।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून