मनोरंजन

देवभूमि भारत – मुकेश कुमार दुबे

कहते हैं सब कि देव नहीं रहते हैं अब इस देश में,

तुम्ही बताओ हे भोले शंकर रहते हो किस भेंस में।

कैलाश है तेरा मूल निवास अब है भारत के उत्तर में,

पर द्वादश ज्योतिर्लिंग है अभी भी भारत में।

 

देवों की यह पुण्य भूमि जहां नदियां भी पूजी जाती है,

वृषभ है जहां देवतुल्य गायें माता कहलाती है।

हर पेड़-पौधों में देवताओं का निवास माना जाता है,

कुएं, तालाब और बावरी को भी देव तुल्य माना जाता है।

 

हर जीव-जंतु में जहां ईश्वर का वास कहा जाता है,

किसी जीवधारी को कष्ट देना बड़ा भारी पाप कहलाता है।

उस देश को छोड़कर बोलो शिव देवता कहां जा सकते हैं,

स्वर्ग छोड़कर सारे देश यहां आने को लालायित रहते हैं।

 

जीवधारी में आत्मा है जो वह परमात्मा का अंश कहलाता है,

आत्मा और परमात्मा को जहां अभिन्न माना जाता है।

फिर बोलो इस देश को छोड़ देव कहां जा सकते हैं,

भारत जैसे पुण्य भूमि को छोड़ क्या अन्यत्र रह सकते है।

 

मौसम के विभिन्न रूपों में भी देवों का निवास यहां,

दिवस, ऋतु, मास में भी देवगण बसते हैं वहां।

हे शिव शंभू कैलाशपति सब लोगों को समझाओ,

अपनी कृपा फिर बरसा करके भारत के जन जन को हरसाओं।

– मुकेश कुमार दुबे “दुर्लभ”

(शिक्षक सह साहित्यकार), सिवान, बिहार

Related posts

गजल – ऋतु गुलाटी

newsadmin

भाषा विभाग पटियाला के प्रांगण में डॉ जसप्रीत कौर फ़लक के पाँचवे काव्य संग्रह ”कैनवस के पास” के टाइटिल पेज़ का हुआ विमोचन

newsadmin

ग़ज़ल – विनोद निराश

newsadmin

Leave a Comment