मनोरंजन

गीतिका सृजन – मधु शुक्ला

क्यों हमें अब तक सखी बीता जमाना याद है,

छाँव में गृह वाटिका की मुस्कराना याद है।

 

ब्याह पद्धति विश्व में अपनी बहुत मशहूर थी,

एक दूजे के लिए पलकें बिछाना याद है।

 

था पड़ोसी भी हमें प्रिय बंधु के सम पूर्व में,

आपदा तकलीफ में हँस काम आना याद है।

 

प्राप्त शिक्षा को रहा संस्कार का जब आसरा,

वक्त वह श्री राम लक्ष्मण का सुहाना याद है।

 

कम हुए संस्कार जब से खोखली शिक्षा हुई,

कौरवों  का  न्याय पर आरी चलाना याद है।

— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश

Related posts

हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु अभियान जारी

newsadmin

हे माँ शारदे – कालिका प्रसाद

newsadmin

गीत – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

Leave a Comment