मनोरंजन

गजल : रीता गुलाटी

छुपे बादलों को ठहरना तो है,

घटा छा गयी नभ बरसना तो है।

 

लिखी आज तुमनें भली सी शायरी,

लिखा क्या अजी यार पढना तो है।

 

बुरा वक्त कह कर नही आ रहा,

बुरे वक्त को आज ढलना तो है।

 

सुधारो कि रिश्तों को खोना नही,

और गैर को कुछ भी कहना तो है।

 

अभी इश्क मे हम भी उतरें कहाँ,

नया इश्क मेरा भी बढ़ना तो है।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़

Related posts

महूं जाहूं स्कूल – अशोक यादव

newsadmin

शहीदी दिवस – डा० क्षमा कौशिक

newsadmin

मेरे सपने मेरे अपने – रश्मि मृदुलिका

newsadmin

Leave a Comment