मनोरंजन

कारगिल – सुनील गुप्ता

(1)”का “, काम कर गए वीर ऐसा कारगिल में

कि, दुश्मन का नामोनिशान साफ हो गया  !

चोटी पर लहराकर प्यारा तिरंगा…..,

फिर अपनी जीत का शंखनाद कर दिया !!

(2)”र “, रक्षा में खड़े रहे वहां वीर अडिग

शत्रु को बढ़ने का मौका ही नहीं दिया  !

अपनी ताकत का दिखा लोहा दुश्मन को…..,

हज़ार बार सोचने पे मजबूर कर दिया  !!

(3)”गि “, गिरगिट की तरह रंग बदलते दुश्मन को

हर बार यहां मुँह की खानी ही पड़ी  !

फिर भी वो नहीं आया अपनी हरकतों से बाज.,

तो, उसे उसकी नानी याद दिलानी ही पड़ी  !!

(4)”ल “, ललकार हमारे वीर सैनिकों की सुनकर

दुबक जाता है दुश्मन हर बार बिलों में  !

पर, दिखा दिया उसे करके सर्जिकल स्ट्राइक.,

कि, तेरे घर में ही घुसकर अब मारेंगे तुझे  !!

(5)”कारगिल “, कारगिल की विजय गाथा कहते

हम हो जाते हैं सभी हर्ष से गौरवान्वित !

हैं वीर जवानों के किस्से ऐसे अनगिनत…,

जिन्हें सुनते ही हम हो जाते हैं रोमांचित !!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

Related posts

गजल – रीता गुलाटी

newsadmin

गीत – रूबी गुप्ता

newsadmin

वर्ष गया यूँ बीत – प्रियदर्शिनी पुष्पा

newsadmin

Leave a Comment