नभ के पंछी प्यारे न्यारे
हैं दूर सफर के सब राही !
उड़ा करते हैं साँझ सवेरे…..,
तय करते मंज़िल मनचाही !!1!!
हैं राहें नहीं इनकी आसान
जोश है इनमें ख़ूब अपार !
भरें हौंसलों की ये उड़ान……,
करते चलें आसमां को पार !!2!!
परवाज़ है इनकी गगनचुम्बी
हैं इनके इरादे पक्के फौलादी !
डगर है इनकी ऊँची लंबी…..,
सागर पार बसाएं ये आबादी !!3!!
करते सफर ये आगे बढ़ते
कहीं नहीं ये ठहरा करते !
है इनकी तेज़ गति रफ़्तार……,
ये हवा संग बातें करते उड़ते !!4!!
उत्साह उमंग साहस से भरे
ये करते हैं दिन रात सफर !
भरते चलें डग ऊँचे गहरे…..,
रखते हैं ये मंज़िल पे नज़र !!5!!
है इनकी सोच बड़ी न्यारी
नेतृत्व क्षमताएं इनकी निराली !
लयबद्ध है इनकी चाल प्यारी….,
मधुर है इनकी तान सुरीली !!6!!
है जीवन इनका संघर्षमय
चलें उड़ते एक ताल लय !
कभी ना छोड़ें, कल पे काम…..,
पक्के धुनके, है मंज़िल ध्येय !!7!!
गिरी पर्वत सागर पार करते
तय करते चलें ये जीवन सफर !
उन्मुक्त होकर नभ के पंछी…..,
उड़ते गाएं गीत सुंदर मधुर !!8!!
हम भी बनें इन पंछी जैसे
उड़ें सदा उन्मुक्त जीवन में !
मन फलक पे भरें परवाज़ ऊँची……,
करें साकार कल्पनाएं यहां रहते !!9!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान