जो बीत गया वो खत्म हुआ,
वक्त की आग से भस्म हुआ।
वो सोच पर छा सकता है,
पर रोक नहीं सकता तुमको।
अगर ठान लिया आगे बढ़ने को,
कोई मोड़ नहीं सकता तुमको।
शक्तिहीन है वो शक्तिशाली नहीं,
भूत है वो कोई वर्तमान नहीं।
स्वयं से पूछो क्या करना है,
जिंदगी एक नया अब रचना है।
चोट से तुम योग्य बनो,
कार्यों से शक्तिशाली।
चलना अभी बहुत है तुम्हें,
सर उठाओ आकाश बनो।
तुम वायु बनो बहते जाओ,
सुने जग में प्राण भरो।
पीछे को नीचे रखो,
मुक्त होकर नई उड़ान भरो।
– रोहित आनंद, मेहरपुर , बांका, बिहार