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कविता – जसवीर सिंह हलधर

देश लूटकर भाग न जायें , नकली नंबरदार वतन के ।

जागो कलम सिपाही जागो ,सच्चे पहरेदार वतन के ।।

 

धूप चढ़े सोकर उठते हैं ,वैसे भी वो बड़े लोग हैं ।

मंचों पर सुंदर दिखते है ,मन में उनके कुष्ठ रोग हैं ।

चारा ,ईंधन ,चीनी खायी ,देता है इतिहास गवाही ,

गाँधी औ जे पी के पीछे ,बने रहे हकदार वतन के ।

जागो कलम सिपाही जागो ,सच्चे पहरेदार वतन के ।।1

 

धरे हाथ पर हाथ न बैठो ,कविता को हथियार बना लो ।

लोक तंत्र के रक्षण हेतू ,छंदों पर अब धार लगा लो ।

सत्य तथ्य जन जन तक लाओ ,सोया वातावरण जगाओ ,

संसद में आकर ना बैठें ,  झूठे चौकी दार वतन के ।

जागो कलम सिपाही जागो ,सच्चे पहरेदार वतन के ।।2

 

माना कल तक हम सोये थे ,लेकिन अब तो जाग रहे हैं ।

अंदर हो या बाहर दुश्मन , सीधे गोली दाग रहे हैं ।

घोटाला जिनका है धंधा ,लोक तंत्र को मानें अंधा ,

आतंकी को नायक कहते ,पुस्तक में गद्दार वतन के ।

जागो कलम सिपाही जागो ,सच्चे पहरेदार वतन के ।।3

 

जिसके हाथों में छाले हो ,वो ही माली हों उपवन का ।

पैरों के छालों में जिसके ,लेखा जोखा हो जन गण का ।

जिसका स्वेद महक फैलाये ,वाणी में हो वेद ऋचायें ,

हलधर “दिल्ली मांग रही है ,सच्चे जन सरदार वतन के ।

जागो कलाम सिपाही जागो ,सच्चे पहरेदार वतन के ।।

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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